भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लोक कविता / सुदर्शन वशिष्ठ" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुदर्शन वशिष्ठ |संग्रह=अनकहा / सुदर्शन वशिष्ठ }} <...)
 
(कोई अंतर नहीं)

02:28, 1 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

देख देख विहँसता है गद्दी
तेरे मत्थे दा बिन्दला
तेरे नक्के दा बालू
देख देख विहंसता है गद्दी

बिंदास गद्दण
मेमने सी कोमल
नरम,निरीह अबोध
स्नेहिल शर्मीली सपनीली
चंदास गद्दण
देख देख विहँसता है गद्दी।

केवल एक आवाज़--
एक आवाज़ से डरता है गद्दी
बाघ से नहीं डरता
रीछ से नहीं डरता
मीह से नहीं डरता
पाणी से नहीं डरता है


एक आवाज़--
आवाज़,मोटर की है
ट्रक की है
कार की है
सूट बूट की झंकार की है।

क्या कोई ट्रक मेमनों को रगड़ गया
कोई बाबू गद्द्ण से उलझ गया
एक आवाज़--
बजा बाजा
क्या दावत के लिए
कारों का काफिला सजा!
या आया तो नही है कहीं
लश्कर सहित शिकारी राजा!