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|रचनाकार=अरविन्द श्रीवास्तव
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<Poem>
सुनता है तानाशाह
टैंकों की गरगराहट गड़गड़ाहट में
संगीत की धुन
फेफड़े को तरोताजा तरोताज़ा कर जाती हैबारुदी धुएँकी गंधउन्हें उसके लिए नींद लाती हैधमाकों की आवाजआवाज़
तानाशाह खाता है
मानचित्रों पर
किसी तिब्बत की तलाश में !
--अरविन्द श्रीवास्तव १९:३४, २ सितम्बर २००९ (UTC)ARVIND SRIVASTAVA[http:<//www.janshabd.blogspot.com कड़ी शीर्षक]poem>