भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैं तलखि़ये हयात से घबरा के पी गया / साग़र सिद्दीकी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: मैं तलखि़ये हयात से घबरा के पी गया ग़म की सियाह रात से घबरा के पी ग...)
(कोई अंतर नहीं)

05:40, 4 सितम्बर 2009 का अवतरण

मैं तलखि़ये हयात से घबरा के पी गया ग़म की सियाह रात से घबरा के पी गया

इतनी दकिक शे कोई कैसे समझ सके यज़दां के वाकियात से घबरा के पी गया