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"सदृश / मनोज कुमार झा" के अवतरणों में अंतर

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वे भाई की हत्‍या कर मन्‍त्री बने थे
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वे भाई की हत्या कर मंत्री बने थे
 
चमचे इसे भी कुर्बानियों में गिनते हैं।
 
चमचे इसे भी कुर्बानियों में गिनते हैं।
विपन्‍नों की भाषा में जो लहू का लवण होता है
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विपन्नों की भाषा में जो लहू का लवण होता है
 
उसे काछकर छींटा पूरे जवार में
 
उसे काछकर छींटा पूरे जवार में
फसल अच्‍छी हुई।
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फसल अच्छी हुई।
  
कवि जी ने गरीब गोतिया के घर से उखाडा था ख्‍म्‍भा-बरेरा
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कवि जी ने गरीब गोतिया के घर से उखाडा था खम्भा-बरेरा
 
बहुत सगुनिया हुई सीढी
 
बहुत सगुनिया हुई सीढी
कवि जी गए बहुत उपर और बच्‍चा गया अमरीका।
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कवि जी गए बहुत ऊपर और बच्चा गया अमरीका।
  
गदगद कवि जी गुदगुद सोफै पर बैठे थे
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गद्‍गद्‍ कवि जी गुदगुद सोफे पर बैठे थे
जम्‍हाई लेते मंत्री जी ने बयान दिया - वक्‍त बहुत मुश्किल है
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जम्‍हाई लेते मंत्री जी ने बयान दिया - वक़्त बहुत मुश्किल है
 
कविता सुनाओगे या दारू पिओगे।
 
कविता सुनाओगे या दारू पिओगे।
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22:49, 4 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण


वे भाई की हत्या कर मंत्री बने थे
चमचे इसे भी कुर्बानियों में गिनते हैं।
विपन्नों की भाषा में जो लहू का लवण होता है
उसे काछकर छींटा पूरे जवार में
फसल अच्छी हुई।

कवि जी ने गरीब गोतिया के घर से उखाडा था खम्भा-बरेरा
बहुत सगुनिया हुई सीढी
कवि जी गए बहुत ऊपर और बच्चा गया अमरीका।

गद्‍गद्‍ कवि जी गुदगुद सोफे पर बैठे थे
जम्‍हाई लेते मंत्री जी ने बयान दिया - वक़्त बहुत मुश्किल है
कविता सुनाओगे या दारू पिओगे।