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01:32, 6 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
मेरी इन
कोल्हापुरी चप्पलों का
अकडा हुआ
कीचड
एयरपोर्ट के इस
महाचकाचक फर्श पर
वैसे ही टिमक रहा है
जैसे पग्गड
किसान का
दकमता है
कृषि-भवन के
पोस्टर पर।
’परिचारिका‘ में परी
दीर्घइकार भूलकर
हो जाती है
क्यों छोटी इ?
