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मैं गिरिधर की कुछ कुँडलियाँ अपने कविता कोश पर देखना चाहता हूँ। <Br/>
 
एक कुण्डलिया , जो मुझे याद है: <Br/><Br/>
 
साईं बैर न कीजिये, कबि पंडित गुरु यार। <Br/>
बेटा बनिता पौरिया, यज्ञ करावनहार।। <Br/>
यज्ञकरावनहार राजमंत्री जो होई। <Br/>
बिप्र पड़ोसी बैद्य आपको तपे रसोई।। <Br/>
कह गिरिधर कबिराय .... <Br/>
इन तेरह सों तरह किये बिनु आवै साईं।। <Br/><Br/>
 
'''--अनुनाद सिंह'''
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