भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रीत-गंध / अश्वघोष" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अश्वघोष |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <Poem> वासन्ती रूप की तरह क...)
 
छो ("प्रीत-गंध / अश्वघोष" सुरक्षित कर दिया [edit=sysop:move=sysop])
 
(कोई अंतर नहीं)

21:06, 7 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

वासन्ती रूप की तरह
केसरिया धूप की तरह
प्रीत-गन्ध फैली।

ऋतुओं ने तोड़ दिए
वक़्त के कगार
मोती-सा दमक उठा
मटमैला प्यार।

स्वप्नमयी हूर की तरह
तन के मयूर की तरह
नाच उठी चेतना रुपहली
प्रीत-गन्ध फैली।

आँगन भर अनुभव ने
मोहबेल छोड़ी
जगवंती हो गई
आस्था निगोड़ी।

अपराजित राग की तरह
फागुनी अनुराग की तरह
गूँज उठी एक स्वर-शैली
प्रीत-गन्ध फैली।