भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"क्या- क्या स्तगित / अमित कल्ला" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमित कल्ला }} <poem> क्या- क्या स्तगित करते हो स्वप्न ...)
(कोई अंतर नहीं)

19:56, 8 सितम्बर 2009 का अवतरण

क्या- क्या
स्तगित करते हो
स्वप्न प्रक्रिया ,
अपने लोक की यात्रा
अथवा
अगले जन्म का इंतजार

बेतुका सा लगता
देता अगर
चुनौती
क्या समझना
क्या समझाना

थोडी - थोडी झलक भी
बहुत नाज़ुक लगती है
होते हुए भी नहीं

तत्क्षण
कितनी अबाध
जगाये जाने पर कहीं
ओर
निरंतर
अप्रभावित ।