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"साथी सो ना कर कुछ बात / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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साथी सो न क्रर कुछ बात
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साथी सो न क्रर कुछ बात।
  
पूर्ण कर दे वह कहानी  
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पूर्ण कर दे वह कहानी,
जो शुरू की थी सुनानी
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जो शुरू की थी सुनानी,
आदि जिसका हर निशा में
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आदि जिसका हर निशा में,
 
अन्त चिर अज्ञात
 
अन्त चिर अज्ञात
साथी सो न कर कुछ बात
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साथी सो न कर कुछ बात।
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बात करते सो गया तू,
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स्वप्न में फिर खो गया तू,
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रह गया मैं और
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आधी रात आधी बात
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साथी सो न कर कुछ बात।
  
 
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16:34, 9 सितम्बर 2009 का अवतरण

साथी सो न क्रर कुछ बात।

पूर्ण कर दे वह कहानी,
जो शुरू की थी सुनानी,
आदि जिसका हर निशा में,
अन्त चिर अज्ञात
साथी सो न कर कुछ बात।

बात करते सो गया तू,
स्वप्न में फिर खो गया तू,
रह गया मैं और
आधी रात आधी बात
साथी सो न कर कुछ बात।