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"मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा" के अवतरणों में अंतर

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मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा ।।
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मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा ।।<br />
आसन मारि मंदिर में बैठे,
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आसन मारि मंदिर में बैठे,<br />
ब्रम्ह-छाँड़ि पूजन लगे पथरा ।।
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ब्रम्ह-छाँड़ि पूजन लगे पथरा ।।<br />
कनवा फड़ाय जटवा बढ़ौले,
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कनवा फड़ाय जटवा बढ़ौले,<br />
दाढ़ी बाढ़ाय जोगी होई गेलें बकरा ।।
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दाढ़ी बाढ़ाय जोगी होई गेलें बकरा ।।<br />
जंगल जाये जोगी धुनिया रमौले
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जंगल जाये जोगी धुनिया रमौले<br />
काम जराए जोगी होए गैले हिजड़ा ।।
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काम जराए जोगी होए गैले हिजड़ा ।।<br />
मथवा मुड़ाय जोगी कपड़ो रंगौले,
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मथवा मुड़ाय जोगी कपड़ो रंगौले,<br />
गीता बाँच के होय गैले लबरा ।।
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गीता बाँच के होय गैले लबरा ।।<br />
कहहिं कबीर सुनो भाई साधो,
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कहहिं कबीर सुनो भाई साधो,<br />
जम दरवजवा बाँधल जैबे पकड़ा  ।।
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जम दरवजवा बाँधल जैबे पकड़ा  ।।<br />

13:51, 11 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा ।।
आसन मारि मंदिर में बैठे,
ब्रम्ह-छाँड़ि पूजन लगे पथरा ।।
कनवा फड़ाय जटवा बढ़ौले,
दाढ़ी बाढ़ाय जोगी होई गेलें बकरा ।।
जंगल जाये जोगी धुनिया रमौले
काम जराए जोगी होए गैले हिजड़ा ।।
मथवा मुड़ाय जोगी कपड़ो रंगौले,
गीता बाँच के होय गैले लबरा ।।
कहहिं कबीर सुनो भाई साधो,
जम दरवजवा बाँधल जैबे पकड़ा ।।