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16:22, 12 सितम्बर 2009 का अवतरण
अबके कैसी बरखा आई
कि छत पर बरसता लम्बा सावन
अपना सारा वेग
भादो के कन्धे पर बहा गया
और कमरे के सैलाब में
बचाते रहे हम
यादों की पोटलियां।