भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
तुझे भूलने की दुआ करूँ तो दुआ में मेरी असर न हो <br><br>
मेरे बाज़ुओं में थकी थकी , अभी महव-ए-ख़्वाब है चाँदनी चांदनी<br>
न उठे सितारों की पालकी, अभी आहटों का गुज़र न हो <br><br>
ये ग़ज़ल कि जैसे हिरन की आँखों में पिछली रात की चाँदनी चांदनी<br>
न बुझे ख़राबे की रोशनी, कभी बेचराग़ ये घर न हो <br><br>