भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैला सूरज / अवतार एनगिल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल }} <poem>...)
(कोई अंतर नहीं)

17:49, 12 सितम्बर 2009 का अवतरण

एक भगोड़ा
जो कभी संन्यास लेकर
हिमालय गया था,
कई बरस बाद
रोगों के निढाल
झड़े-बाल
कस्बे में वापस आया----
मैला सूरज बना
ख़ाली झोला उठाए
पहुँची बस्ती
दबे पांव
मुजरिम-सा

एक ख़ाली बोतल
उसके जूते से टकराकर
खनकी
औंधे घड़े ने
उसका अभिवादन किया
बस्ती के आवारा कुत्ते ने
उसे हिकारत से देखा
और अनदेखा कर दिया
बीमार सूरज को लगा
कि आँगन की बुझी अंगीढी ने
उसका मुंह चिढ़ाया था
और नीम की कड़वी छाया ने
किया था उपहास

साक्षात्कार के ठीक उसी क्षण
सूर्योदय हुआ।
संन्यासी ने
उसे पहचाना।
अपना खाली झोला उठाया
और
धूप
की लौटती किरणों पर
कदम रखता
आकाश को समर्पित हो गया
देखते-देखते
पूरा कस्बा इकट्ठा हो गया
एक भक्त बोले--
घर के आंगन में पहुंचने तक
स्वामी सूर्यदेव ने
यमराज को दूर रखा
अपनी यात्रा पूरी करके
उन्होंने अपने प्राण
यमराज को भिक्षा में दिये

यह पंक्तियां लिखते समय
कवि जानता है
सूर्यदेव महोगय ने मृत्यु-स्थल पर
एक भव्य मन्दिर बन रहा है
और कस्बे के आकाश पर
एक बार फिर
धर्म का चंदवा तन रहा है।