भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जपाकुसुम का फूल / लावण्या शाह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लावण्या शाह }} <poem> झूम झूम झूम तू डा़ली पर झूम, मन ...) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
<poem> | <poem> | ||
झूम झूम झूम तू डा़ली पर झूम, मन मेरे! | झूम झूम झूम तू डा़ली पर झूम, मन मेरे! | ||
− | बन के, तू जप कुसुम का फूल | + | बन के, तू जप कुसुम का फूल! |
+ | डा़ली की हरियाली से तू खेल खेल खिल जा रे, | ||
+ | ओ मेरे मन झूम तू, बन जपाकुसुम का फूल! | ||
+ | |||
+ | आज फिजा में फैला दे तू, अपनी चितवन का रूप, | ||
+ | बन पराग, उडा़ दे, रंग दे, केसर मिश्रित धूल! | ||
+ | |||
+ | लाल लाल, कोमल पंखुरियाँ, अंजुरी भरी गुलाल | ||
+ | रंग भीना, मन मानस तरसे, जपाकुसुम का फूल! | ||
+ | |||
+ | सांस सांस मृदंग बजेगी झाँझर की झालर झमकेगी | ||
+ | रोली कुमकुम, भर करे आरती, जपाकुसुम का फूल! | ||
</poem> | </poem> |
00:27, 13 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
झूम झूम झूम तू डा़ली पर झूम, मन मेरे!
बन के, तू जप कुसुम का फूल!
डा़ली की हरियाली से तू खेल खेल खिल जा रे,
ओ मेरे मन झूम तू, बन जपाकुसुम का फूल!
आज फिजा में फैला दे तू, अपनी चितवन का रूप,
बन पराग, उडा़ दे, रंग दे, केसर मिश्रित धूल!
लाल लाल, कोमल पंखुरियाँ, अंजुरी भरी गुलाल
रंग भीना, मन मानस तरसे, जपाकुसुम का फूल!
सांस सांस मृदंग बजेगी झाँझर की झालर झमकेगी
रोली कुमकुम, भर करे आरती, जपाकुसुम का फूल!