भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पल पल जीवन बीता जाये / लावण्या शाह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लावण्या शाह }} <poem> पल पल जीवन बीता जाए निर्मित मन ...)
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
निर्मित मन के रे उपवन में
 
निर्मित मन के रे उपवन में
 
कोई कोयल गाये रे!
 
कोई कोयल गाये रे!
 +
 +
सुख के दुख के पंख लगाये
 +
कोई कोयल गाये रे!
 +
कहीं खिली है मधुर कामिनी
 +
कहीं अधखिली चमेली भान बुलाए
 +
कहीं दूब है हरी हरी कहीं भँवरा मँड़राये रे!
  
  
  
 
</poem>
 
</poem>

00:35, 13 सितम्बर 2009 का अवतरण

पल पल जीवन बीता जाए
निर्मित मन के रे उपवन में
कोई कोयल गाये रे!

सुख के दुख के पंख लगाये
कोई कोयल गाये रे!
कहीं खिली है मधुर कामिनी
कहीं अधखिली चमेली भान बुलाए
कहीं दूब है हरी हरी कहीं भँवरा मँड़राये रे!