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"जितनी दूर / माधव कौशिक" के अवतरणों में अंतर

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10:02, 15 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

जितनी दूर तुम्हारे यज्ञ के घोड़े गए।
उतनी सीमा में कहो,कब आदमी छोड़े गए।

न ज़रूरत है दवा की न दुआ की दोस्तो।
दिल की गहराई से ज़्यादा दर्द के फोड़े गए।

रहनुमाँ की साजिशें सब को दिखाई दे गईं,
क़ाफ़िले जब बन्द ग़लियों की तरफ़ मोड़े गए।

इक अदद सूरज को अपने साथ लाने के लिए,
लोग उस अंधेर नगरी की तरफ़ दौड़े गए।

आज हर किर किरचे में अपनी शक्ल आती है नज़र,
जाने किस अन्दाज़ से वो आईने तोड़े गए।