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(मृत्यु से ठीक एक घण्टे पूर्व लिखा उनका यह मुक्तक)—
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यादें नक्श हो जायें किसी पत्थर पर तो
वे पत्थर दिल को पिघला सकती हैं।
यादें होतीं होते उनके पैर नहीं
पर पीढ़ियों तलक वे जा सकती हैं।
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