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"जादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर

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14:01, 15 सितम्बर 2009 का अवतरण


जादह-ओ-मंज़िल जहाँ दोनों हैं एक।
उस जगह से मेरा सेहरा शुरू॥

वक़्त थोडा़ और यह भी तै नहीं।
किस जगह से कीजिये कि़स्सा शुरू॥

देखा ललचाई निगाहों का मआ़ल।
‘आरज़ू’ लो हो गया परदा शुरू॥