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15:29, 16 सितम्बर 2009 का अवतरण

मैंने पलाश की एक डाली हिलाई
और झर गया मेरी गोदी में
अथाह सौंदर्य!
तुम मर मिटे
पुरुष हो!
मैं चुपचाप निरखती रही
सुगंध तलाशती रही
स्त्री हूँ न!