भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अंतर / इला प्रसाद" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इला प्रसाद }} <poem> मैंने पलाश की एक डाली हिलाई और झ...) |
(कोई अंतर नहीं)
|
15:29, 16 सितम्बर 2009 का अवतरण
मैंने पलाश की एक डाली हिलाई
और झर गया मेरी गोदी में
अथाह सौंदर्य!
तुम मर मिटे
पुरुष हो!
मैं चुपचाप निरखती रही
सुगंध तलाशती रही
स्त्री हूँ न!
