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"अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते / अकबर इलाहाबादी" के अवतरणों में अंतर
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ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते | ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते | ||
सच है कि हमीं दिल को संभलने नहीं देते | सच है कि हमीं दिल को संभलने नहीं देते | ||
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किस नाज़ से कहते हैं वो झुंझला के शब-ए-वस्ल | किस नाज़ से कहते हैं वो झुंझला के शब-ए-वस्ल |
16:58, 16 सितम्बर 2009 का अवतरण
ख़ातिर से तेरी याद को टलने नहीं देते
सच है कि हमीं दिल को संभलने नहीं देते
आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते
अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते
किस नाज़ से कहते हैं वो झुंझला के शब-ए-वस्ल
तुम तो हमें करवट भी बदलने नहीं देते
परवानों ने फ़ानूस को देखा तो ये बोले
क्यों हम को जलाते हो कि जलने नहीं देते
हैरान हूँ किस तरह करूँ अर्ज़-ए-तमन्ना
दुश्मन को तो पहलू से वो टलने नहीं देते
दिल वो है कि फ़रियाद से लबरेज़ है हर वक़्त
हम वो हैं कि कुछ मुँह से निकलने नहीं देते
गर्मी-ए-मोहब्बत में वो है आह से माने'
पंखा नफ़स-ए-सर्द का झलने नहीं देते