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"याद किसी की चाँदनी बन कर / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem>याद किसी की चांदनी बन कर कॊठॆ कॊठॆ उतरी है याद किसी की धूप हुई है...)
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17:28, 16 सितम्बर 2009 का अवतरण

याद किसी की चांदनी बन कर कॊठॆ कॊठॆ उतरी है
याद किसी की धूप हुई है ज़ीना ज़ीना उतरी है
रात की रानी शानॆ चमन मॆ‍ गॆसू खॊल कॆ सॊती है
रात बॆ रात उधर् मत जाना इक् नागिन भी रहती है