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"याद किसी की चाँदनी बन कर / बशीर बद्र" के अवतरणों में अंतर
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<poem>याद किसी की चांदनी बन कर कॊठॆ कॊठॆ उतरी है | <poem>याद किसी की चांदनी बन कर कॊठॆ कॊठॆ उतरी है | ||
− | याद किसी की धूप हुई है ज़ीना ज़ीना उतरी है | + | याद किसी की धूप हुई है ज़ीना ज़ीना उतरी है<br /> |
रात की रानी शानॆ चमन मॆ गॆसू खॊल कॆ सॊती है | रात की रानी शानॆ चमन मॆ गॆसू खॊल कॆ सॊती है | ||
− | रात बॆ रात उधर् मत जाना इक् नागिन भी रहती है | + | रात बॆ रात उधर् मत जाना इक् नागिन भी रहती है<br /> |
तुमकॊ क्या गज़लॆ कह कर अपनी आग बुझा लॊगॆ | तुमकॊ क्या गज़लॆ कह कर अपनी आग बुझा लॊगॆ | ||
− | उसकॆ जी सॆ पूछॊ जॊ पत्थर की तरह चुप रहती है | + | उसकॆ जी सॆ पूछॊ जॊ पत्थर की तरह चुप रहती है<br /> |
मुद्दत सॆ एक लडकी कॆ रुखसार की धूप नही आई | मुद्दत सॆ एक लडकी कॆ रुखसार की धूप नही आई | ||
− | इसी लिए मॆरॆ कमरॆ मॆ इतनी ठडक रहती है | + | इसी लिए मॆरॆ कमरॆ मॆ इतनी ठडक रहती है<br /> |
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17:38, 16 सितम्बर 2009 का अवतरण
याद किसी की चांदनी बन कर कॊठॆ कॊठॆ उतरी है
याद किसी की धूप हुई है ज़ीना ज़ीना उतरी है
रात की रानी शानॆ चमन मॆ गॆसू खॊल कॆ सॊती है
रात बॆ रात उधर् मत जाना इक् नागिन भी रहती है
तुमकॊ क्या गज़लॆ कह कर अपनी आग बुझा लॊगॆ
उसकॆ जी सॆ पूछॊ जॊ पत्थर की तरह चुप रहती है
मुद्दत सॆ एक लडकी कॆ रुखसार की धूप नही आई
इसी लिए मॆरॆ कमरॆ मॆ इतनी ठडक रहती है