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"उलझनें / रंजना भाटिया" के अवतरणों में अंतर
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प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना भाटिया |संग्रह= }} <poem>कई उलझने हैं .. कई रोने क...) |
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22:38, 16 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
कई उलझने हैं ..
कई रोने के बहाने हैं ...
कई उदास बातें हैं ..
कई तन्हा रातें हैं ..
पर ..पर ....
जब भी तेरी नजरें मेरी नजरो से
तेरी धड़कने मेरी धडकनों से
और तेरी उँगलियाँ मेरी ऊँगलियों से
उलझ जाती है ..........
तो सारी उलझने
सारी उदास बातें ,तन्हा रातें
ना जाने कैसे खुद बा खुद सुलझ जाती है ..