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22:54, 17 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
आज मुझे भूलने के बाद जब वो मेरे ख़त तूने जलाए होंगे
फ़िज़ाओ में आज भी वो बीते पलो के साए महक आए होंगे
बिताए थे ना जाने कितने बेहिसाब लम्हे साथ साथ
उनके तस्वुर ने तेरे होश एक बार फिर से तो उड़ाए होंगे
याद आया होगा तुझे भी मेरा तेरी बाहों में सिमाटना
मेरे ज़ुल्फ़ो की ख़ुश्बू के साए आँखो में लहराए होंगे
आईने में देखा होगा जब तूने यूँ ही अक़्स अपना
मेरी चाहत के जाम आज भी तेरी नज़रो से छलक आए होंगे
देखा होगा जब चाँद को बादलो के संग छिपते हुए
मेरी प्यार की बातो से तेरे लब मुस्कराए होंगे
जगाया होगा मेरे ख्वाबो ने तुझे अक्सर रातो को
जुदा होने से पहले के वह हसीन लम्हे याद आए होंगे
है यही तो प्यार की तसीर का जादू इस ठहरी सी फ़िज़ा में
धूवाँ होते वो पल किसी पावन ख़ुश्बू से महक आए होंगे
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!