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प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना भाटिया |संग्रह= }} <poem> 1) '''मोहब्बत''' अगर कभी गु...) |
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02:00, 19 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
1)
मोहब्बत
अगर कभी गुजरो
मेरे दिल के दरवाज़े से हो कर
तो बिना दस्तक दिए
दिल में चली आना
कि तुम्हारे ही इंतज़ार में
मैंने एक उम्र गुजारी है !!
2)
ओस की बूंदे
एक सुबह यूं ही
बिखरी ओस की बूंदों पर
कोई अक्स तेरा उभर आया
जाग उठी तमाम दिल की हसरतें
और बे- इन्तहा प्यार तुझ पर आया !!
3)
साथ
जब मैं उसके साथ नही होती
तो वह मुझे हर श्ये में तलाश करता है
पहरों सोचता है मेरे बारे में
और मिलने की आस करता है
पर जब मैं मिलती हूँ उस से
तो वह तब भी कुछ
खोया सा उदास सा
न जाने क्यों रहता है !!
4)
ध्यान
सिर्फ़ तुझ में गुम
दिल में यादों के साये
और आंखो में ख्वाब तेरे
ध्यान का एक सुंदर रूप
यह भी तो है !!