भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सपनों का आकाश / रंजना भाटिया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poe{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना भाटिया |संग्रह= }}m>मेरे दिल की ज़मीन को सप...)
(कोई अंतर नहीं)

02:23, 19 सितम्बर 2009 का अवतरण

<poe

m>मेरे दिल की ज़मीन को सपनो का आकाश चाहिए,

उड़ सकूँ या नही ,किंतु पँखो के होने का अहसास चाहिए......

मौसम दर मौसम बीत रही है यह जिंदगानी , मेरी अनबुझी प्यास को बस एक "मधुमास" चाहिए.

लेकर तेरा हाथ, हाथो में काट सके बाक़ी ज़िंदगी का सफ़र. मेरे डग-मग करते क़दमो को बस तेरा विश्वास चाहिए.

साँझ होते ही तन्हा उदास हो जाती है मेरी ज़िंदगी, अब उन्ही तन्हा रातो को तेरे प्यार की बरसात चाहिए.

कट चुका है अब तो मेरा" बनवास" बहुत मेरे बनवास को अब "अयोध्या का वास" चाहिए. !!</poem>