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"उनका हरेक बयान हुआ / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर

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11:13, 19 सितम्बर 2009 का अवतरण

उनका हर एक बयान हुआ
दंगे का सब सामान हुआ

नक्शे पर जो शह्‍र खड़ा है
देख जमीं पे बियाबान हुआ

झोंपड़ ही तो चंद जले हैं
ऐसा भी क्या तूफ़ान हुआ

कातिल का जब से भेद खुला
हाकिम क्यूं मेहरबान हुआ

कोना-कोना घर का चमके
है जब से वो मेहमान हुआ

आँखों में सनम की देख जरा
कत्ल का मेरे उन्वान हुआ

एक हरी वर्दी जो पहनी
दिल मेरा हिन्दुस्तान हुआ