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उचकी वह पंजों पर थोड़ा-सा | उचकी वह पंजों पर थोड़ा-सा |
20:44, 22 सितम्बर 2009 का अवतरण
उचकी वह पंजों पर थोड़ा-सा
फिर मेरी ओर होंठ बढ़ाए
चूमा उसे मैं ने यों, ज्यों मारा कोड़ा-सा
यह अहम हमारा हमें लड़ाए
फिर झरने लगे आँसू वहाँ निरंतर
धुल गए बोझल से वे पल-छिन
सावन की बारिश में निःस्वर
डूब गया वह उदास दिन
(2006 में रचित)