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"मुझे रहने को वो मिला है घर कि जो आफ़तों की है रहगुज़र / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर

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मुझे रहने को वो मिला है घर कि जो आफ़तों की है रहगुज़र।
तुम्हें ख़ाकसारों की क्या खबर, कभी नीचे उतरे हो बाम से?

जो तेरे अमल का चराग़ है, वही बेमहल है तो दाग़ है।
न जला के बैठ उसे सुबह से, न बुझा के सो उसे शाम से॥