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"मेरा संबल / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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मैं जीवन की हर हल चल में | मैं जीवन की हर हल चल में | ||
− | कुछ पल सुखमय | + | कुछ पल सुखमय, |
− | अमरण अक्षय | + | अमरण अक्षय, |
चुन लेता हूँ। | चुन लेता हूँ। | ||
मैं जग के हर कोलाहल में | मैं जग के हर कोलाहल में | ||
− | कुछ स्वर मधुमय | + | कुछ स्वर मधुमय, |
− | उन्मुक्त अभय | + | उन्मुक्त अभय, |
सुन लेता हूँ। | सुन लेता हूँ। | ||
22:29, 23 सितम्बर 2009 का अवतरण
मैं जीवन की हर हल चल में
कुछ पल सुखमय,
अमरण अक्षय,
चुन लेता हूँ।
मैं जग के हर कोलाहल में
कुछ स्वर मधुमय,
उन्मुक्त अभय,
सुन लेता हूँ।
हर काल कठिन के बन्धन से
ले तार तरल
कुछ मुद मंगल
मैं सुधि पट पर
बुन लेता हूँ।