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"कविता / अब्दुल्ला पेसिऊ" के अवतरणों में अंतर

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11:33, 26 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

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कविता
एक उश्रृंखल स्त्री है
और मैं उसके प्रेम में दीवाना
 
सौगंध तो रोज़ रोज़
आने की खाती है
पर आती है कभी-कभार ही

या बिल्कुल आती ही नहीं
कई बार।

 अंग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र