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"अब मुझको फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या / आरज़ू लखनवी" के अवतरणों में अंतर

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अब मुझ को फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या?
 
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वो मुँह पै कह गए--"यह मरज़ लाइलाज है"॥
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वो मुँह पे कह गए--"यह मर्ज़ लाइलाज है"॥
  
 
इज़्ज़त कुछ और शय है, नुमाइश कुछ और चीज़।
 
इज़्ज़त कुछ और शय है, नुमाइश कुछ और चीज़।
 
यूँ तो यहाँ खूरोस के सर पर भी ताज है॥
 
यूँ तो यहाँ खूरोस के सर पर भी ताज है॥
 
 
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23:06, 26 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

अब मुझ को फ़ायदा हो दवा-ओ-दुआ से क्या?
वो मुँह पे कह गए--"यह मर्ज़ लाइलाज है"॥

इज़्ज़त कुछ और शय है, नुमाइश कुछ और चीज़।
यूँ तो यहाँ खूरोस के सर पर भी ताज है॥