भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कोई गाता, मैं सो जाता / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
}} | }} | ||
− | कोई गाता मैं सो जाता! | + | कोई गाता, मैं सो जाता! |
संसृति के विस्तृत सागर पर | संसृति के विस्तृत सागर पर |
23:57, 26 सितम्बर 2009 का अवतरण
कोई गाता, मैं सो जाता!
संसृति के विस्तृत सागर पर
सपनों की नौका के अंदर
सुख-दुख की लहरों पर उठ-गिर बहता जाता मैं सो जाता!
कोई गाता मैं सो जाता!
आँखों में भरकर प्यार अमर,
आशीष हथेली में भरकर
कोई मेरा सिर गोदी में रख सहलाता, मैं सो जाता!
कोई गाता मैं सो जाता!
मेरे जीवन का खारा जल,
मेरे जीवन का हालाहल
कोई अपने स्वर में मधुमय कर बरसाता, मैं सो जाता!
कोई गाता मैं सो जाता!