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"घुल रहा मन चाँदनी में / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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घुल रहा मन चाँदनी में!
 
घुल रहा मन चाँदनी में!

12:58, 28 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

घुल रहा मन चाँदनी में!

पूर्णमासी की निशा है,
ज्योति-मज्जित हर दिशा है,
खो रहे हैं आज निज अस्तित्व उडुगण चाँदनी में!
घुल रहा मन चाँदनी में!

हूँ कभी मैं गीत गाता,
हूँ कभी आँसू बहाता,
पर नहीं कुछ शांति पाता,
व्यर्थ दोनों आज रोदन और गायन चाँदनी में!
घुल रहा मन चाँदनी में!

मौन होकर बैठता जब,
भान-सा होता मुझे तब,
हो रहा अर्पित किसी को आज जीवन चाँदनी में!
घुल रहा मन चाँदनी में!