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"मैं जीवन में कुछ कर न सका / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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मैं जीवन में कुछ न कर सका! | मैं जीवन में कुछ न कर सका! |
14:08, 28 सितम्बर 2009 का अवतरण
मैं जीवन में कुछ न कर सका!
जग में अँधियाला छाया था,
मैं ज्वाला लेकर आया था
मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका!
मैं जीवन में कुछ न कर सका!
अपनी ही आग बुझा लेता,
तो जी को धैर्य बँधा देता,
मधु का सागर लहराता था, लघु प्याला भी मैं भर न सका!
मैं जीवन में कुछ न कर सका!
बीता अवसर क्या आएगा,
मन जीवन भर पछताएगा,
मरना तो होगा ही मुझको, जब मरना था तब मर न सका!
मैं जीवन में कुछ न कर सका!