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"मेरी सीमाएँ बतला दो / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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मेरी सीमाएँ बतला दो! | मेरी सीमाएँ बतला दो! |
14:15, 28 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
मेरी सीमाएँ बतला दो!
यह अनंत नीला नभमंड़ल,
देता मूक निमंत्रण प्रतिपल,
मेरे चिर चंचल पंखों को इनकी परिमित परिधि बता दो!
मेरी सीमाएँ बतला दो!
कल्पवृक्ष पर नीड़ बनाकर
गाना मधुमय फल खा-खाकर!-
स्वप्न देखने वाले खग को जग का कडुआ सत्य चखा दो!
मेरी सीमाएँ बतला दो!
मैं कुछ अपना ध्येय बनाऊँ,
श्रेय बनाऊँ, प्रेय बनाऊँ;
अन्त कहाँ मेरे जीवन का एक झलक मुझको दिखला दो!
मेरी सीमाएँ बतला दो!