भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मैं जीवन की शंका महान / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) |
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
युग-युग संचालित राह छोड़, | युग-युग संचालित राह छोड़, | ||
− | युग-युग संचित विश्वास | + | युग-युग संचित विश्वास तोड़! |
मैं चला आज युग-युग सेवित, | मैं चला आज युग-युग सेवित, | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
− | होगी न हृदय में शांति | + | होगी न हृदय में शांति व्याप्त, |
कर लेता जब तक नहीं प्राप्त, | कर लेता जब तक नहीं प्राप्त, |
02:24, 30 सितम्बर 2009 का अवतरण
मैं जीवन की शंका महान!
युग-युग संचालित राह छोड़,
युग-युग संचित विश्वास तोड़!
मैं चला आज युग-युग सेवित,
पाखंड-रुढ़ि से बैर ठान।
मैं जीवन की शंका महान!
होगी न हृदय में शांति व्याप्त,
कर लेता जब तक नहीं प्राप्त,
जग-जीवन का कुछ नया अर्थ,
जग-जीवन का कुछ नया ज्ञान।
मैं जीवन की शंका महान!
गहनांधकार में पाँव धार,
युग नयन फाड़, युग कर पसार,
उठ-उठ, गिर-गिरकर बार-बार
मैं खोज रहा हूँ अपना पथ,
अपनी शंका का समाधान।
मैं जीवन की शंका महान!