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"अब तो दुख के दिवस हमारे / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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− | अब तो दुख | + | अब तो दुख दें दिवस हमारे! |
− | मेरा भार स्वयं | + | मेरा भार स्वयं ले करके, |
− | मेरी नाव स्वयं | + | मेरी नाव स्वयं खे करके, |
− | दूर मुझे रखते | + | दूर मुझे रखते जो श्रम से, वे तो दूर सिधारे! |
− | अब तो दुख | + | अब तो दुख दें दिवस हमारे! |
रह न गये जो हाथ बटाते, | रह न गये जो हाथ बटाते, | ||
साथ खेवाकर पार लगाते, | साथ खेवाकर पार लगाते, | ||
कुछ न सही तो साहस देते होकर खड़े किनारे! | कुछ न सही तो साहस देते होकर खड़े किनारे! | ||
− | अब तो दुख | + | अब तो दुख दें दिवस हमारे! |
डूब रही है नौका मेरी, | डूब रही है नौका मेरी, | ||
बंद जगत हैं आँखें तेरी, | बंद जगत हैं आँखें तेरी, | ||
मेरी संकट की घड़ियों के साखी नभ के तारे! | मेरी संकट की घड़ियों के साखी नभ के तारे! | ||
− | अब तो दुख | + | अब तो दुख दें दिवस हमारे! |
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03:49, 2 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
अब तो दुख दें दिवस हमारे!
मेरा भार स्वयं ले करके,
मेरी नाव स्वयं खे करके,
दूर मुझे रखते जो श्रम से, वे तो दूर सिधारे!
अब तो दुख दें दिवस हमारे!
रह न गये जो हाथ बटाते,
साथ खेवाकर पार लगाते,
कुछ न सही तो साहस देते होकर खड़े किनारे!
अब तो दुख दें दिवस हमारे!
डूब रही है नौका मेरी,
बंद जगत हैं आँखें तेरी,
मेरी संकट की घड़ियों के साखी नभ के तारे!
अब तो दुख दें दिवस हमारे!