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"तुम तूफ़ान समझ पाओगे? / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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12:09, 3 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?
गीले बादल, पीछे रजकण,
सूखे पत्ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता 'हरहर'- इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?
गंध-भरा यह मंद पवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
सहसा इसका टूट गया जो स्वप्न महान, समझ पाओगे?
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?
तोड़-मरोड़ विटप लतिकाऍं,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाऍं,
जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?