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"गिरजे से घंटे की टन-टन / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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मेरा मंदिर था, प्रतिमा थी,
 
मेरा मंदिर था, प्रतिमा थी,
 
मन में पूजा की महिमा थी,
 
मन में पूजा की महिमा थी,
किंतु निरभ्र गगने से गिरकर वज्र गया कर सबका खंडन!
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किंतु निरभ्र गगन से गिरकर वज्र गया कर सबका खंडन!
 
गिरजे से घंटे की टन-टन!
 
गिरजे से घंटे की टन-टन!
  

00:50, 4 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

गिरजे से घंटे की टन-टन!

मंदिर से शंखों की तानें,
मस्जिद से पाबंद अजानें
उठ कर नित्य किया करती हैं अपने भक्तों का आवाहन!
गिरजे से घंटे की टन-टन!

मेरा मंदिर था, प्रतिमा थी,
मन में पूजा की महिमा थी,
किंतु निरभ्र गगन से गिरकर वज्र गया कर सबका खंडन!
गिरजे से घंटे की टन-टन!

जब ये पावन ध्वनियाँ आतीं,
शीश झुकाने दुनिया जाती,
अपने से पूछा करता मैं, करूँ कहाँ मैं किसका पूजन!
गिरजे से घंटे की टन-टन!