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"कोई रोता दूर कहीं पर / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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यत्न बचाने के निष्फल कर, | यत्न बचाने के निष्फल कर, | ||
काल प्रबल ने किसके जीवन का प्यारा अवलम्ब लिया हर? | काल प्रबल ने किसके जीवन का प्यारा अवलम्ब लिया हर? | ||
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आकर अपने घर से सत्वर, | आकर अपने घर से सत्वर, | ||
− | क्या न इसे समझाते होंगे चार दुखी का जीवन कहकर! | + | क्या न इसे समझाते होंगे चार, दुखी का जीवन कहकर! |
कोई रोता दूर कहीं पर! | कोई रोता दूर कहीं पर! | ||
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11:00, 4 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
कोई रोता दूर कहीं पर!
इन काली घड़ियों के अंदर,
यत्न बचाने के निष्फल कर,
काल प्रबल ने किसके जीवन का प्यारा अवलम्ब लिया हर?
कोई रोता दूर कहीं पर!
ऐसी ही थी रात घनेरी,
जब सुख की, सुखमा की ढेरी
मेरी लूट नियति ने ली थी, करके मेरा तन मन जर्जर!
कोई रोता दूर कहीं पर!
मित्र पड़ोसी क्रंदन सुनकर,
आकर अपने घर से सत्वर,
क्या न इसे समझाते होंगे चार, दुखी का जीवन कहकर!
कोई रोता दूर कहीं पर!