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"धूरि भरे अति सोहत स्याम जू / रसखान" के अवतरणों में अंतर
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14:40, 13 नवम्बर 2006 का अवतरण
धूरि भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी।
खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनिया कटि पीरी कछौटी।।
वा छवि को रसखान विलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी
काग के भाग कहा कहिए हरि हाथ सों ले गयो माखन रोटी।।