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"धूरि भरे अति सोहत स्याम जू / रसखान" के अवतरणों में अंतर
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धूरि भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी। | धूरि भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी। | ||
18:41, 21 अप्रैल 2008 का अवतरण
धूरि भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी।
खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनिया कटि पीरी कछौटी।।
वा छवि को रसखान विलोकत, वारत काम कलानिधि कोटी
काग के भाग कहा कहिए हरि हाथ सों ले गयो माखन रोटी।।