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"जय हो, हे संसार तुम्हारी / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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जग को शुभाशीष देने के हम दुखिया अधिकारी!
 
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13:35, 4 अक्टूबर 2009 का अवतरण

जय हो, हे संसार, तम्हारी!

जहाँ झुके हम वहाँ तनो तुम,
जहाँ मिटे हम वहाँ बनो तुम,
तुम जीतो उस ठौर जहाँ पर हमने बाज़ी हारी!
जय हो, हे संसार, तुम्‍हारी!

मानव का सच हो सपना सब,
हमें चाहिए और न कुछ अब,
याद रहे हमको बस इतना- मानव जाति हमारी!
जय हो, हे संसार, तम्हारी!

अनायास निकली यह वाणी,
यह निश्चय होगी कल्याणी,
जग को शुभाशीष देने के हम दुखिया अधिकारी!
जय हो, हे संसार, तम्हारी!