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"यह पपीहे की रटन है / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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यह पपीहे की रटन है!
 
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भूमि की लेतीं बलाएँ,
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खोल दिल देतीं दुआएँ- देख किस उर में जलन है!
 
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वज्र भी बेपीर आया- कब रुका इसका वचन है!
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यह पपीहे की रटन है!
 
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यह न पानी से बुझेगी,
 
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यह न शोलों से डरेगी, यह वियोगी की लगन है!
 
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यह पपीहे की रटन है!
 
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13:38, 4 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

यह पपीहे की रटन है!

बादलों की घिर घटाएँ,
भूमि की लेतीं बलाएँ,
खोल दिल देतीं दुआएँ- देख किस उर में जलन है!
यह पपीहे की रटन है!

जो बहा दे, नीर आया,
आग का फिर तीर आया,
वज्र भी बेपीर आया- कब रुका इसका वचन है!
यह पपीहे की रटन है!


यह न पानी से बुझेगी,
यह न पत्थर से दबेगी,
यह न शोलों से डरेगी, यह वियोगी की लगन है!
यह पपीहे की रटन है!