भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"याचना / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=रघुवीर सहाय | |रचनाकार=रघुवीर सहाय | ||
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatGeet}} |
<poem> | <poem> | ||
युक्ति के सारे नियंत्रण तोड़ डाले, | युक्ति के सारे नियंत्रण तोड़ डाले, |
19:39, 4 अक्टूबर 2009 का अवतरण
युक्ति के सारे नियंत्रण तोड़ डाले,
मुक्ति के कारण नियम सब छोड़ डाले,
अब तुम्हारे बंधनों की कामना है|
विरह यामिनी में न पल भर नींद आई,
क्यों मिलन के प्रात वह नैनों समाई,
एक क्षण में ही तो मिलन में जागना है|
यह अभागा प्यार ही यदि है भुलाना,
तो विरह के वे कठिन क्षण भूल जाना,
हाय जिनका भूलना मुझको मना है |
मुक्त हो उच्छ्वास अंबर मापता है,
तारकों के पास जा कुछ काँपता है,
श्वास के हर कम्प में कुछ याचना है|