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{{KKRachna
|रचनाकार=माखनलाल चतुर्वेदी
|संग्रह= हिम तरंगिनी / माखनलाल चतुर्वेदी
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<poem>
यह किसका मन डोला?
यह धीरज, सतपुड़ा शिखर-
सा स्थिर , हो गया हिंडोला,
फूलों के रेशे की फाँसी
यह किसका मन डोला?
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