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सदस्य वार्ता:अनिल जनविजय

119 bytes added, 17:04, 7 अक्टूबर 2009
जनविजय जी! अगर एक कविता दो संग्रहों में हो तो क्या करेंगें। मैंने एक जुगाड़ तो किया है। देखें [[प्रेयसी / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"]]। पर एक अच्छा समाधान होना चाहिए इस समस्या का। कृपया सहायता करें। सादर - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
 
धन्यवाद, जनविजय जी। - [[धर्मेन्द्र कुमार सिंह]]
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