भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ज़िन्दगी / प्रताप सहगल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रताप सहगल }} <poem> पैबन्द-दर-पैबन्द फटी हुई पतलून ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=प्रताप सहगल | |रचनाकार=प्रताप सहगल | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
पैबन्द-दर-पैबन्द | पैबन्द-दर-पैबन्द |
19:37, 10 अक्टूबर 2009 का अवतरण
पैबन्द-दर-पैबन्द
फटी हुई पतलून
फिर भी
टांगों में फँसाए रखने का
जुनून।