भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"क्षमा याचना / अटल बिहारी वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(हिज्जे) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी | |रचनाकार=अटल बिहारी वाजपेयी | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
+ | क्षमा करो बापू! तुम हमको, | ||
+ | बचन भंग के हम अपराधी, | ||
+ | राजघाट को किया अपावन, | ||
+ | मंज़िल भूले, यात्रा आधी। | ||
− | + | जयप्रकाश जी! रखो भरोसा, | |
− | + | टूटे सपनों को जोड़ेंगे। | |
− | + | चिताभस्म की चिंगारी से, | |
− | + | ||
− | + | ||
− | जयप्रकाश जी! रखो भरोसा, | + | |
− | टूटे सपनों को जोड़ेंगे। | + | |
− | चिताभस्म की चिंगारी से, | + | |
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे। | अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे। | ||
+ | </poem> |
23:38, 12 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
क्षमा करो बापू! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी।
जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,
टूटे सपनों को जोड़ेंगे।
चिताभस्म की चिंगारी से,
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे।